रमल ज्ञान
‘‘एक अनुपम खोज ’’
हमारे देश भारत की भूमि स्वर्ण उत्सर्जित करती है। यह मात्र कथनीय वाक्य नहीं है। इसके पीछे कई रहस्यात्मक तथ्य हैं और जब आप यह पुस्तक पढ़ रहे हैं तो आप निश्चित रूप से हमारे देश के उस छिपे हुए खजाने से लाभान्वित हो रहे हैं। पुस्तक के परिचय के लिए यह शब्द पर्याप्त नहीं हैं, इसीलिए स्वर्ण भूमि के अनमोल खजाने की खोज की तुलना करते समय मैंने इस कथन का प्रयोग किया। आचार्य अनुपम जौली, यह नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है और अब आचार्य जी ने रमल शास्त्र पर अपनी कुछ अत्यंत विशिष्ट खोज करके यह साबित कर दिया कि कालांतर में विलुप्त हो चुकी हमारी अद्भुत एवं दिव्य ज्ञानवर्धक विद्यायें हमारे लिए बेहद लाभदायक थीं। जिन्हें अल्पज्ञान के चलते आप और हम नजऱअन्दाज कर बैठे हैं।
आचार्य जी एक मध्यम वर्गीय, नौकरीपेशा परिवार से हैं। उस पर से आपके परिवार में से कोई भी न तो ज्योतिषी है न ही इस विषय में कोई दिलचस्पी रखता है। ऐसे में ज्योतिष को एक व्यवस्था के रूप में स्थापित करना और निरंतर नयी खोज करते रहना साधारण बात नहीं है। आचार्य जी स्नातक तक विज्ञान के छात्र रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में भी डॉक्टरेट हासिल की है। 1996 से ज्योतिष विषय को पूरे क्रमबद्ध तरीके से पढ़ाना शुरू किया। 2007 में ज्योतिष विषय पर अनुसन्धान संस्था इंटरनेशनल स्कूल ऑफ एस्ट्रोलॉजी एण्ड डीवाईन साइंसेज की स्थापना की। आचार्य जी की देखरेख में अब तक के हज़ारों छात्र छात्राऐं ज्योतिष विषय का ज्ञान प्राप्त कर चुके हैं और समाज को लाभान्वित भी कर रहे हैं।
आचार्य अनुपम जौली के शोध व् शिक्षाप्रद लेख कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में छप चुके हैं। हम सब के लिए गौरव की बात यह है कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी, अमेरिका के छात्रों को भारतीय वैदिक ज्योतिष विषय समझाने के लिए एक डॉक्योंमेन्ट्री आचार्य अनुपम जौली पर बनायीं गई है। जिसे प्रत्येक वर्ष यूनिवर्सिटी के छात्र एक विषय की तरह पढ़ते और समझते हैं।
रमल ज्ञान विमोचन समारोह
‘‘रमल ज्ञान’’ इस पुस्तक में आपकी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए रमल शास्त्र की गूढ व रहस्यमय विधियों को समझाया गया है। अगर आपके मन में रमल शास्त्र को ले कर कोई भी प्रश्न या संशय है तो यह पुस्तक आपकी सभी शंकाओ का समाधान कर देगी। रमल इतना सहज नहीं था जितना आचार्य अनुपम जौली जी के मार्गदर्शन में हो गया और अब यह पुस्तक लिख कर आपने इस विषय को नवीन जीवन दे दिया है जिसके लिए आगामी पीडिय़ाँ आपकी शुक्रगुज़ार रहेंगी। वैसे तो आपके तप और त्याग की प्रतिरूप यह पुस्तक नि:संदेह लोकप्रिय होगी किन्तु फिर भी मेरी शुभकामना है कि आपका कार्य एवं मेहनत सर्वोच्च सफलता प्राप्त करे।