भविष्य को जानने की अनेक पद्धतियों का चलन विश्वभर में अनादिकाल से रहा है और मनुष्य किसी न किसी प्रकार से अपनी जिज्ञासा शान्त करने हेतु अनेक विद्याओं जैसे नाड़ीग्रंथ, प्रश्न ज्योतिष, शकुन विचार, कृष्णमूर्ति पद्धति, पक्षियों की सहायता से भविष्य, रमल पद्धति आदि-आदि का सहारा लेता रहा है।
भविष्य कथन या प्रश्नों के उत्तर प्राप्ति के लिये अनेक विद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव द्वारा, उमा पार्वती के कौतुहल पूर्ण प्रश्नों के समाधान द्वारा होती रही है। रहस्य विद्याओं के ज्ञान शुक्राचार्य ने स्वयं भगवान शिव से प्राप्त किया है। भगवान शिव द्वारा प्रणीत रमल विद्या सदियों से लोगों का मार्गदर्शन करती रही है।
रमल शब्द का अर्थ :
रमल रहस्य ग्रन्थ के अनुसार- रमु क्रीड़ार्थ धातोश्च मस्मादलविधानत:। औणादित्वादलं प्राण रमलेति प्रथांगत:।।
अर्थात् रमु क्रीड़ार्थक धातु में दल प्रत्यव लगाकर रमल शब्द बना है।
शिवपुराण-शतरूद्रसंहिता अध्याय दो के अनुसार भगवान शिवजी ने देवी पार्वती जी के मनोरंजन हेतु आठ पासों से एक मनोरंजक खेल की रंचना की, जिसमें उनका मन रमा रहे। इस मनोरंजक खेल का नामकरण रमणक क्रीडा पड़ गया।
रमणक संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका सीधा अर्थ है:-
मन को प्रसन्न रखने वाला खिलौना। रमणक क्रीड़ा का अर्थ हुआ कि ऐसा खेल जिससे मन को आनन्द की प्राप्ति होती है।
यहाँ रमणक अर्थात खिलौना पाँसे, गोटियाँ इत्यादि से सर्वज्ञान के स्त्रोत भगवान शंकर ने सिर्फ भगवती शक्ति रूपेण उमा का मनोरंजन साध रहे है अपितु भूलोक के प्राणियों के अनिश्चित जीवन की जटिलता को सरल व भविष्य के सटीक अनुमान हेतु, लोकार्थ भावना जैसे गंभीर उद-देश्यो ंकी पूर्ति हेतु प्रतिष्ठित कर रहे है।
रमल ज्योतिष का परिचय :
रमल पद्धति में कुंडली बनाने का तरीका भी अलग है। रमल कुंडली में सोलह भाव में सोलह शक्लें होती हैं। यह रूप यानि कि शक्लें चार बिंदु (.) और रेखा (-) के अनेक क्रम परिवर्तन से उत्पन्न होते हैं। रमल ज्योतिष में भी नौ ग्रह और बारह राशियां होती हैं। रमल पद्धति में सोलह शक्लें और उनके अरबी या यवनी नाम निम्न प्रकार से हैं।
लह्यान, कब्जुल दाखिल, कब्जुल खारिज, जमात, फरहा, उकला, अंकीश, हुमरा, बयाज, नस्त्रुतुल ख़ारिज, नकी, अतबे ख़ारिज, नकी, अतबे दाख़िल, इज्जतमा, तारीक। रूपों के इस क्रम को शकुन पंक्ति क्रम कहते हैं।
प्रत्येक शक्ल का संबंध चार मुख्य तत्वों से है। अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी। यह तत्व रमल शक्ल के ऊपर से नीचे के क्रम में रहते हैं। सबसे ऊपर की बिंदु या रेखा अग्नि तत्व उसके बाद वायु, जल और पृथ्वी तत्व होता है।
रमल के द्वारा मनोगत प्रश्न का ज्ञान करना :
रमलज्ञ को अपने इष्ट का ध्यान करना चाहिये और अपने मन ही मन प्रश्न करना चाहिये कि आये हुये जातक के मन में क्या है? ऐसा प्रश्न करने के उपरान्त निम्रांकित सोलह शक्लों के चक्र (रमल शकुन पंक्ति क्रम) में आँखें बन्द कर अंगुली रखनी चाहिऐ।
प्राप्त शक्ल यदि :
(1) दाखिल अथवा साबित हो तो जातक का प्रश्न किसी से लाभ या वस्तु की प्राप्ति, पद या स्थान की प्राप्ति से सम्बन्धित होगा।
(2) प्राप्त शक्ल यदि शुभ दाखिल हो तो जातक परेशान, पराश्रित, पराधीन व मानसिक चिन्ताग्रस्त होने पर भी अपनी समस्या को जगजाहिर नहीं करता। वह इस स्थिति से निकलना चाहते हुये भी निकल पाने में समर्थ नहीं होता।
(3) प्राप्त शक्ल यदि शुभ खारिज हो तो जातक के मन में किसी दूर की वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा अथवा पास की वस्तु को अपने से दूर करने को लेकर पशोपेश की स्थिति बनी रहती है।
(4) प्राप्त शक्ल यदि अशुभ खारिज हो तो जातक किसी कार्य की कमाई को लेकर चिन्तित है और उसकी चिन्ता भविय को लेकर है कि जो कुछ भी वो करने जा रहा है उसका अन्तिम परिणाम शुभ होगा कि अशुभ होगा।
(5) प्राप्त शक्ल यदि अशुभ साबित हो तो, जातक उसके प्रतिस्पृधि, शत्रु इत्यादि से भयग्रस्त व जेल, बन्धन ईत्यादि को लेकर चिन्तित रहता है।
(6) प्राप्त शक्ल मुन्कलीब हो तो किसी महान या शुभ कार्य का हिस्सा बनने का इच्छुक होता है। सामाजिक रूप से या व्यापारिक रूप से
(7) प्राप्त शक्ल यदि अशुभ मुन्कलीब हो तो जातक कोई वड़ा काम करना चाहता है परन्तु परिवार भी राय नहीं बन पा रही है।
(8) प्राप्त शक्ल अगर अग्नि तत्व की हो तो जातक के मन में कोई भौतिक चीज, धन ईत्यादि का प्रश्न का प्रश्न होगा। वायु तत्व आने पर प्रश्न किसी जीव, पुरूष, स्त्री से सम्बन्धित होना चाहिये। जल तत्व की शक्ल आने पर प्रश्न खेती, बागवानी, खाद्य पदार्थ सम्बन्धित होगी। और पृथ्वी तत्व की शक्ल आने पर जमीन, मकान, दुकान इत्यादि का प्रश्न बताना चाहिये।
4 Comments
गुरूजी प्रणाम,
रमल ज्योतिष के इतिहास पर जो आपका शोध पत्र है, वह कब प्रकाशित होगा ?
आपके द्वारा सिखाई फोन से रमल कुंडली बनाने की विधि हमारे बहुत काम आ रही है|
धन्यवाद |
सादर
महेश त्रिवेदी
बहुत अच्छी जानकारी
मुझे रमल शास्त्र की अधिक जानकारी चाहिए। इसके लिऐ मेरा मार्ग दर्शन करें। ऊपर दी हुई जानकारी बहुत ही लाभदायक है
धनयवाद।
Nice information