चर्चा करते है मुहुर्त की शुभता पर :
- शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म भी दिन के अभीजीत मुहुर्त में हुआ था ।
- लग्न कुंडली में लाभ और भाग्य जिसे धर्म भाव भी कहते है, दोनों संयुक्त होकर (सूर्य और बुध) दशम भाव में बैठे है l
- शनि और बुध (चतुर्थ और नवम ) का राजयोग है ।
- पराक्रम भाव में बृहस्पति और केतु, धर्म क्षेत्र में पूर्ण पराक्रम की बात करते है ।
- उस दिन का नक्षत्र शतभिषा है जो की नक्षत्र मंडल में 24वां नक्षत्र माना गया है। ‘शतभिषा‘ का शाब्दिक अर्थ है ‘सौ भीष्‘ अर्थात ‘सौ चिकित्सक‘ अथवा ‘सौ चिकित्सा‘। अर्थात यह नक्षत्र सौ चिकित्सकों के सामान व्यवहार करता है l ‘श्त्तारक‘ इस नक्षत्र का एक वैकल्पिक नाम है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘सौ सितारे‘।
- बुधवार को मुहुर्त शास्त्र में शुभ कार्यों के लिए नियुक्त किया गया है ।
- शोभन योग में शुभ कार्यों और यात्रा इत्यदि को किया जाना अच्छा माना गया है ।
- के पी सिस्टम से 12.39.40 पर लग्न का सब लार्ड शनि, सूर्य के नक्षत्र में है और सूर्य मुख्यत: नवम अर्थात धर्म को प्रदर्शित कर रहा है और इसके अलावा एकादश अर्थात कार्य की सिद्धि और द्वादश अर्थात खर्चे और विदेश में भी इसकी ख्याति को दर्शा रहा है ।
- और अंत में कहूँगा की ग्रंथों में लिखा है की तपस्वी, गुरु या उच्च आत्मिक व्यक्ति के मुख से निकला मुहुर्त सर्वश्रेष्ठ है ।
इस लेख को लिखने के पश्चात् मुझे मुहुर्त के बारें में विस्तृत पत्र मिला जिसमें काशी के विद्वान आचार्य पण्डित गणेश्वर शास्त्री द्रविड जी ने लगभग ज्यादातर प्रश्नों के उत्तर दिए है, आप सब की जिज्ञासा के लिए उसे भी इस आलेख में प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
अंत में जय श्रीराम, हम सब की भावनाओं का मंदिर बन रहा है l भगवान श्रीराम और श्रीहनुमान हम सब का भला करें ।
कैसा होगा मंदिर का स्वरूप?
राम मंदिर के मॉडल में प्रस्तावित बदलाव किया गया है। पहले आयताकार था, अब कुर्सीफार्म शेप का मॉडल होगा। पहले 2 मंडप थे, अब 5 मंडप होंगे। गर्भगृह के ऊपर के मुख्य गुम्बद के अलावा 3 मंडप गर्भगृह के बाद होंगे, उसके बाद एक और मंदिर के प्रवेश के पास एक छोटा मंडप होगा। पहले आकार 313×149 फुट था, अब 344×235 फुट होगा। शिखर की चोटी की ऊंचाई पहले 138 फुट प्रस्तावित थी, जो अब बढ़कर 161 फुट होगी। पत्थर की मात्रा पहले 243,000 घन फुट आंकी गई थी, जो अब बढ़कर 375,000 घन फुट होगा। क्षेत्रफल में भी बदलाव होगा।
ll जय श्रीराम ll ll जय श्रीराम ll ll जय श्रीराम ll ll जय श्रीराम ll ll जय श्रीराम ll